बड़े बूढ़ों के जीवन का तुम हो सहारा ,
गंगा जल सा पवित्र ज्ञान हो तुम्हारा ,
गंगा जल सा पवित्र ज्ञान हो तुम्हारा ,
तेरी एक मुस्कराहट पे महकता जहाँ सारा ,
ठंडी हवा के झोंके ,पीपल की छाया बन कर ,
सेवा करो जहां की , कुदरत की माया बन कर ,
इस वतन से पहचान तेऱी ,इसको ना भूल जाना ,
मिट्टी की सोंधी खुशबू सी ईमान तुम बन जाना ,
जंग करो अन्याय से ,सच्चाई ना रुकने देना ,
जीवन में सफल हो जाओगे ,है गुरु जनों का कहना