Monday 10 November 2014

Hasya vyangya , Poem on students , Chitthi chatra ki hindi funny poem , चिट्ठी छात्र की (व्यंग )- funny student's letter to the principal

 

     चिट्ठी  छात्र की   (व्यंग )


आदरणीय प्रधानचार्य जी ,
सुबह सुबह मीठी नींद छोड़ , करैले के स्वाद जैसा स्कूल
आने  का मन तो नहीं करता ,लेकिन 
मम्मी पापा के खातिर मन मार के आना पड़ता  है ,
स्कूल के  डस्टबिन बॉक्स की भूख
मेरा लंचबॉक्स मिटाता है , 
और मेरे पेट की भूख कैंटीन का खाना मिटाता  है ,और अहहह  जंक फ़ूड ने तो मेरे चटपटी जुबान पर 2bhk फ्लैट बना रखा है ,
मुझे पता है के  मै गलत कर रहा  हूँ
लेकिन क्या करूँ दिल के हाथों मजबूर हूँ 
यही  अच्छा लगता है.........  

मेरी हवा ख़राब होती है कसम से ,
UT , री टेस्ट , रेमिडियल से ,
क्लास टीचर , इन्चार्जेस और प्रिंसिपल सर , 
इनकी स्पीच लगते है पुराने फैशन के कपड़े से ,
इन सब से मन बड़ा भारी भारी हो जाता  है,
इसके लिए बाथरूम्स के वाटर टैप
क्लास रूम्स फैन ,डोर ,विन्डो ,डेस्क ,टेबल बेन्च
तोड़ना पड़ता है फिर कहीं जाकर मन हल्का होता है ,
मुझे पता है के  मै गलत कर रहा  हूँ
लेकिन क्या करूँ दिल के हाथों मजबूर हूँ 
यही  अच्छा लगता है , 

एक लम्बी सांस लेते हुवे    …………। 


                                  सच  बताऊँ पहली बार जब स्कूल ड्रेस देखा तो

मेरे फैशन का टायर ट्यूब पंचर हो गया था
देखने में बासी चौमीन सा ढीला ढाला लिकलिका सा 
जिसमे फैशन का दूर दूर तक कोई स्कोप नहीं था
रोज़ रोज़ देख उसको चढ़ जाता है चिकनगुनिया बुखार
मजबूरी में शर्ट कभी बाहर कभी अंदर
कोलर कभी ऊपर तो कभी नीचे ,और तो और 
पैंट कमर से गिरती हुई टांगनी पड़ती  है ,आप को क्या पता सर 
स्कूल ड्रेस इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए नए नए रिसर्च करने  पड़ते  है
कभी कभी तो ये फैशन डिसास्टर सा लगता है सर ,
हमारे हेयर स्टाइल सारे टीचर्स की आँख में
 शनी ग्रह की तरह चुभते  है ,
ज़रा सा बढ़ा  नहीं के ट्रैफिक पुलिस की तरह
चालान करने चले आते है ,
पूछो मत बस उस समय पूरे तन बदन में 
आग की लहर सी दौड़ती है,
लेकिन कुछ कर नहीं सकता ,
मुझे पता है के  मै गलत कर रहा  हूँ
लेकिन क्या करूँ दिल के हाथों मजबूर हूँ 
यही अच्छा लगता है , 

दिवाली से पहले स्कूल में पटाखा बजाना

होली से पहले सब को रंग लगाना
assembly  में बाते कर हँसाना ,
क्लास बंक कर इधर उधर घूमना ,
गलत id  फेस बुक , व्हाटसअप chat करना
पढाई के समय फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना 
मुझे पता है के  मै गलत कर रहा  हूँ
लेकिन क्या करूँ दिल के हाथों मजबूर हूँ 
यही  अच्छा लगता है , 
और हाँ अंत में कहना चाहूंगा ,थोड़ी बहुत कसर बची थी इधर उधर करने की ना ,
वो भी इस नए मरे डिस्पर्सल प्लान ने स्यापा डाल कर शंघाई किचेन, चावला जैसे हमारे वेल विशर के गैस चूल्हे को ठंडे कर दिए। 

आदरणीय  प्रधानाचार्य जी मै प्रतिज्ञा करता हूँ  की 
अभी  तक जो गलत काम अच्छा लगता है दोबारा नही करूँगा 
मै जानता हूँ के ये सही है मेरे भविष्य के लिए लेकिन 
ये मै नहीं कर पाऊंगा , फिर भी कोशिश करूँगा 
मुझे पता है के  ये सही है 
लेकिन क्या करूँ अच्छा  ही नहीं लगता है.......
 माफ़ करना सर   …धन्यवाद  




 चटोरे चिंचपोकले 
आप का आज्ञाकारी छात्र