खाना खाते तू खुद से मिस्टेक कर गया ,
तूने ही छलकाया तो मै बाहर गिर गया ,
और मुँह बना कर कहता है ,रायता फ़ैल गया ,
नज़ाकत के साथ लज़ीज़ बन कर आ गया ,
प्लेट के कोने में बड़ी इज़्ज़त से पसर गया ,
हर कौर में भर दो चम्मच अटैच कर दिया ,
मेरे वज़ूद संग बेमुरौवत सा बर्ताव कर दिया,
मेरे वज़ूद संग बेमुरौवत सा बर्ताव कर दिया,
थोड़ा सा बच गया तो तूने पानी मिला दिया ,
स्वाद के चक्कर में तूने नमक मिर्च भर दिया ,
गाढ़ा बन कर आया था मै ,स्लीम कर दिया ,
मेरी ही इज़्ज़त का तूने रायता फ़ैला दिया ,
तेरे स्वाद के वास्ते मै सीधा सादा बन गया ,
खीरा बूँदी बथुआ से मै तुरंत बन गया ,
ग़रीब अमीर सब की जुबां पे आ गया ,
वेज नॉनवेज सब का साथी बन गया ,
तेरी गलतियों के ठीकरे की दूकान बन गया ,
साइलेंट स्वाभाव मेरा वाईलेंट कर दिया
फिर भी तू कहता है रायता फ़ैल गया ,
खाने से पहले और बाद में मुझे ढूंढते हो ,
मुफ्त में जो मिला तो ग्लास में भर लेते हो ,
लच हो डिनर मुझ पर टूट पड़ते हो ,
बेसब्र हबड़ दबड़ प्लेट में निकालते हो ,
डाइजेस्टिव समझ मुझको पूरा डकार लिया ,
और मज़ा ले के कहते हो रायता फ़ैल गया ,
किसी ने मारा धक्का मैं बाहर फ़ैल पड़ा ,
बीवी का लफड़ा ,बॉस से हुआ झगड़ा
चाहे बच्चे के सुसू ने , भीगा दिया कपड़ा,
या बन्द पैकेट से निकला ,टूटा खाखड़ा,
गोरे चिट्टे रायते का मुँह कला कर दिया ,
"फ़ैल गया रायता "ताक़ियाकलाम बना दिया
साइलेंट स्वाभाव मेरा वाईलेंट कर दिया
फिर भी तू कहता है रायता फ़ैल गया ,
खाने से पहले और बाद में मुझे ढूंढते हो ,
मुफ्त में जो मिला तो ग्लास में भर लेते हो ,
लच हो डिनर मुझ पर टूट पड़ते हो ,
बेसब्र हबड़ दबड़ प्लेट में निकालते हो ,
डाइजेस्टिव समझ मुझको पूरा डकार लिया ,
और मज़ा ले के कहते हो रायता फ़ैल गया ,
किसी ने मारा धक्का मैं बाहर फ़ैल पड़ा ,
बीवी का लफड़ा ,बॉस से हुआ झगड़ा
चाहे बच्चे के सुसू ने , भीगा दिया कपड़ा,
या बन्द पैकेट से निकला ,टूटा खाखड़ा,
गोरे चिट्टे रायते का मुँह कला कर दिया ,
"फ़ैल गया रायता "ताक़ियाकलाम बना दिया
गिरा पानी,चटनी, कुछ भी उसे माफ़ कर दिया,
मैं ना था फिर भी मौके पर मौजूद कर दिया
इल्ज़ाम लगा मुझपर देखो रायता फैल गया
ऐ इंसान तू अहसान फरामोश हो गया
फैलाता है मुझको तू खुद गलतियाँ कर के
मुँह बना कर कहता है ,रायता फ़ैल गया ।
सुनिल अग्रहरि
इल्ज़ाम लगा मुझपर देखो रायता फैल गया
ऐ इंसान तू अहसान फरामोश हो गया
फैलाता है मुझको तू खुद गलतियाँ कर के
मुँह बना कर कहता है ,रायता फ़ैल गया ।
सुनिल अग्रहरि