पूरब और पश्चिम (1970)
मनोज कुमार , मुहम्मद रफ़ी , कल्याण जी आनंद जी, इंदीवर
जब जीरो दिया मेरे भारत ने ,भारत ने मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आयी ,तारों की भाषा भारत ने ,
दुनिया
को पहले सिखलायी
देता ना दशमलव भारत तो
, यू चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का
, अंदाजा
लगाना मुश्किल था
सभ्यता
जहाँ पहले आयी
X2 ,पहले
जन्मी हैं जहापे कला
अपना भारत वो भारत है
,जिसके
पीछे संसार चला
संसार
चला और आगे बढ़ा ,
यूं
आगे बढ़ा बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढे ,(बढता ही रहे और फूले फले)X2
कोरस - हो हो हो -4
है प्रीत जहाँ की रीत सदाX3 , मैं गीत वहां के गाता हूँ
भारत
का रहने वाला हूँ ,
भारत
की बात सुनाता हूँ
है
प्रीत जहाँ की रीत सदा हो ओ हो
ओ ….
MUSIC
काले गोरे का
भेद नहीं ,
हर दिल से हमारा नाता हैssss
कुछ और ना आता हो हमको
, हमें प्यार
निभाना आता हैssss
जिसे
मान चुकी सारी दुनिया X2, मैं बात-x2-वोही दोहराता हूँ
भारत
का रहने वाला हूँ ,
भारत
की बात सुनाता हूँ
है
प्रीत जहाँ की रीत सदा……….
MUSIC
जीते हो किसी ने देश तो क्या , हमने तो दिलों को जीता हैssss
जहाँ
राम अभी तक हैं नर में ,, नारी में अभी तक सीता हैssss
कितने पावन हैं लोग जहाँ , इतने पावन हैं लोग जहाँ
मैं
नित नित शीश झुकाता हूँsss
भारत
का रहने वाला हूँ ,भारत की
बात सुनाता हूँ
हो ओ हो ओ …..
music
इतनी ममता नदियों को भी , जहाँ माता कह के बुलाते है
इतना
आदर इंसान तो क्या ,पत्थर
भी पूजे जाते है
उस धरती पे मैंने जनम लियाx2
ये
सोच -x2के मैं इतराता हूँ
भारत
का रहने वाला हूँभारत की बात सुनाता हूँ
है
प्रीत जहाँ की रीत सदा……