Friday, 25 July 2014

विश्व प्रसिद्ध हिंदी कवी राजहीरामन जी 




प्रिय सुनिल,
तुम्हीरे ब्लॉग की कविता 'बचपन का सिकंदर' पढ़ी.मानव मन को झकझोरती है.मेरा मन भी इस से अछूता नहीं रह पाया.पर शीर्षक मुझे अच्छा नहीं लगा ! सिकंदर संसार को जीतने निकला था.पर मैं Mauritius का रहने वाला यह जानता हूँ कि (मेरे अनुसार) सिकंदर भारत से हार कर गया था.इस लिए जो हारा वही सिकंदर !
तुम्हारी यह कविता भारत की तपोभूमि के उन तमाम बच्चों की संघर्ष-कहानी है जो कभी स्कूल नहीं गए पर आज एक सफल नागरिक /भारतीय/इंसान हैं.At the end of the day the final goal of education is स्वावलम्बन...अपने पैर पर खड़ा होना !
अभाव में जीनेवाला बच्चा ही प्रभाव छोड़ता है,सो तुम्हारे खुद का तजुर्बा साबित कर चुका है.इस कविता के लिए बधाई.लिखना बंद नहीं करो.तुम्हारे देश का गाँधी आज होते तो यह कविता पढ़ कर तम्हें शाबाशी देते ! आम आदमी की मेहनत राजशासन से कहीं ऊँची है.तुम्हारी कविता का लड्डू बेचने वाला बचपन किसी भी विद्वान से पहुँचा तथा बालिग़ है ! इसे सिकंदर नाम देकर छोटा न करो.सिकंदर ने मार-धाड़ जैसे छोटा काम किया था....लड्डू बेचकर मेहनत से पसीना बहा कर जैसा बड़ा काम नहीं.
ऐसी और रचनाओं की अपेक्षा करते हुए.

Raj Heeramun./Grand Bay/MAURITIUS/mobile 59109094./rajheeramun@gmail.com

Wednesday, 2 July 2014

Chandrayan 3 poem -उम्मीद चाँद मामा की (व्यंग )- hindi kavita on moon - sunil agrahari





उम्मीद चाँद मामा की (व्यंग  )6/07/2014 

चंद्रयान 3 - 23 august 23

धरती की   सारी  माएं  खुश हैं  और  मामा जी ,
मामा  जी को भांजे का प्यार का मिलने वाला है ,
कहते है की  दुनियां तरक्की  आज कर रही  जी 
चाँद  में भी  नया  जन जीवन मिलने वाला है 


बात सुन खुश है प्रॉपर्टी डीलर दुनियां के 
धन्धे में अब नया मोड़ आने वाला है 
दाम चार गुना  फ्लैट  देंगे  चंदा मामा 
कह देंगे मैट्रो का प्रोजेक्ट आने वाला है 
कहते है की  दुनियां तरक्की  आज कर रही  जी 
चाँद  में भी  नया  जन जीवन मिलने वाला है ,

मिठाई पनीर और समोसा होगा चाँद पर 
चूल्हा और कढ़ाई  संग हलवाई जाने वाला  है 
बाटी चोखा चाऊमीन इडली  और सत्तू बर्गर 
चाँद मामा  अब  छोले कुल्चे खाने वाला है 
कहते है की  दुनियां तरक्की  आज कर रही  जी 
चाँद  में भी  नया  जन जीवन मिलने वाला है ,

रिश्तों का मारा चाँद आज भी अचम्भे में 
नर है  या नारी ये समझ नहीं आता है 
महबूबा जैसी शक्ल  कहे आशिक और कवि  सारे 
अफ़सोस चंदा मामा कवांरा ही रहने वाला है
कहते है की  दुनियां तरक्की  आज कर रही  जी 
चाँद  में भी  नया  जन जीवन मिलने वाला है , 

कहे चाँद मामा  सुनो सुनो वैज्ञानिक जी 
इंतज़ार चांदनी मामी का आज भी है चन्दा मामा को ,
दुनियां खत्म से पहले आप से उम्मीद है 
सुना है चांदनी का आविष्कार  होने वाला है 
कहते है की  दुनियां तरक्की  आज कर रही  जी 
चाँद  में भी  नया  जन जीवन मिलने वाला है ,