Wednesday 2 May 2018

hindi poem moral values, SUCHARITRA HINDI POEM, ON GOOD CORRECTOR sadachar - BY SUNIL AGRAHARI -सुचरित्र गीत














Published in  Mauritius 
Magazine - Akrosh
September 18



गौरव पूर्ण जीवन ही ,मनुष्य का चरित्र से ,
धन और ऊंची शिक्षा, पदवी से नहीं होता है ,
समाज में सम्मान सदैव सदाचारी का ,
जाति और धर्म से सम्बन्ध नहीं होता है ,

ईर्ष्या तो ,हो जाती है ,धन वाले मान से ,
कभी कभी  ज्ञान अभिमान हो जाता है ,
शुद्ध चरित्र से न करता है ईर्ष्या कोई , 
ऐसा सुचरित्र मन अशांत नहीं होता है ,

सुन्दर चरित्र  के अंग  भिन्न  भिन्न  है ,
रंग रूप इसमें भागीदार नहीं होता है ,
करता है सत्य पे अटूट विश्वास वो ,
सिद्धांतो का दृढ़ ,और कपट नहीं होता है ,

ऐसे ही चरित्र में  प्रेम और दया वाला  ,
सरल  ह्रदय स्वयं भाव  आ जाता  है ,
आत्म गौरव , सुचरित्र का एक गुण है ,
नीच कार्य में वो कभी शामिल नहीं होता है ,

सोच समझ हर एक काम करता वो ,
रिश्वत के सामने कभी ,झुकता नहीं है ,
सुन्दर चरित्र को धन की ना चिंता कभी ,
चरित्रहीन धनवान निर्धन रह जाता है ,



ऐसे ही , कुछ गुण , मनुष्य में आ जाये तो ,
सभ्य कुलीन , शिष्टाचारी कहलाता है ,
पवित्र चरित्र  के  प्रधान अंग जीने वाले , 
देवता या जीवन्मुक्त योगी कहलाता है। 
                                  
 03 /05 /2018 
 सुनील अग्रहरि 
एलकोन इंटरनेशनल स्कूल 
मयूर विहार - फेस -१ 
दिल्ली 





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