Friday 9 April 2021

SOCHA THA - HINDI KAVITA BY SUNIL AGRAHARI-



 





"सर्व भाषा" राष्ट्रीय त्रैमासिक पत्रिका 2 ऑक्टोबर 2021 में प्रकाशित


    ****अन्जानापन****

कैसी थी कोशिश मेरी ,कैसा था अन्जानापन
उम्र हुई तो समझ हुई कैसा था दीवानापन

सोचा था कुछ धूप चुरा राख लूँगा अपने बस्ते में
जब मौसन बदली आएगी, चुपके से धूप निकलूंगा
बदली को चकमा देकर ,उजियारा मै फैलाऊंगा

सोचा था कुछ हँसी बचा,रख लूंगा अपने बस्ते में 
जब कोई दिल मायूस होगा, चुपके हँसी से निकलूंगा
मायूसी को देकर चकमा , हँस के ख़ुशी  बिखेरूँगा 

सोचा कुछ माफ़ी ले कर ,रख लूंगा अपने बस्ते में
जब कोई धोखा देगा मुझे,चुपके से माफ़ी निकलूंगा 
धोखे को देकर  माफ़ी ,अपने दिल को बहला लूंगा

सोचा था बचपन के रफ़ीक रख लूंगा अपने बस्ते में 
तन्हा दिल जब होगा कभी, चुपके से दोस्त  निकलूंगा
तन्हाई  को दे चकमा , यारों  संग वख्त बिताऊंगा।



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