Friday 16 July 2021

Relationship hindi kavita , rishton ki kavita, hindi kavita by sunil agrahari









   


  ***रिश्ते***

रिश्तों में दरार आये,
तो मैं बेचैन होता हूँ।
दरारों को मिटाने की,
सदा मैं कोशिश करता हूँ।  
रिश्तें में सुकूँ कायम 
की तासीर बनता हूँ।
तभी तो ऐ मेरे यारो, 
तुम्हारे साथ बैठा हूँ।

अरे वो दिल भी क्या यारो,
जहाँ रिश्ते न पलते हों।
बिना मतलब के रिश्ते को,
तवज़्ज़ो भी न देते हो।
जो दिल पैसे अमीर गरीब 
के फेरों में पड़ते है।
जनाज़े में उसके अक्सर
 कंधे गैरो  के होते है।

प्यार और अक़ीदत से 
रिश्तों को सींचता हूँ।
हाथ को जोड़ लेता हूँ 
माफ़ी भी मांग लेता हूँ।
रिश्तों में किसी की बात
कभी न दिल से लेता हूँ।
बदल लेता हूँ मैं राहें , 
अगर मैं बोझ होता हूँ। 

जमाने से कहे सुनील ,
ये कैसा वख्त आया है।
ज़रा सी ठेस से पल में ,
अपना गैर पाया है।
बिना जिनके न जीते थे,
अब उनके बिन जीते हैं
ना जाने दुनियाँ में कैसे,
तन्हा  लोग रहते हैं ।



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