देश प्रेमी कलयुगी नेता तुझे शत शत नमन
देश की सेवा के खातिर कर चुके कितने गबन ,
जीते जिस दिन से चुनाव ,चाल टेढ़ी हो गई ,
खाल पतली थी जो पहले ,अब वो मोटी हो गई
तुम सियासत का कभी , मौका नहीं हो चूकते ,
धर्म को तरबूज़ जैसे ,काटते और बांटते ,
काले धन के तुम हो स्वामी, श्वेत वस्त्र धारण करो ,
लूट कर जनता का पैसा , जेब खानदान की भरो ,
जब भी सोचा है तो सोचा , सिर्फ अपना ही भला ,
ढीठ और बेदर्द बन कर, दबाते जनता का गला ,
कोई चाहे मर रहा , तुम अपनी रोटी सेकते ,
मौलवी पंडित लड़ाकर ,चैन से खुद बैठते ,
तुम कुकुरमुत्ते से प्राणी हर जगह उग जाते हो ,
पार्टी का रंग कैसा भी हो ,उसमे तुम मिल जाते हो ,
गणित आप की चमत्कारी , दो दूनी होता है छह ,
भ्र्स्टाचारी दुराचारी , चमचे है आगे पीछे ,
दुनियां को ठगने की तुममे , है गज़ब प्रतिभा भरी ,
खेत में ग़र सूखी घास हो ,तुमको दिखती है हरी ,
रूप अनंत महिमा अनंत , गाथा अनंत कितना कहूं ,
देश की जनता कहे के ,अब तुम्हे कितना सहूँ ,
जैसी करनी है तुम्हारी , तुम भी ना बच पाओगे
स्वर्ग तो तुम जी चुके हो , नर्क में अब जाओगे।
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