कितना अच्छा हुवा ,कुछ ना तुमसे कहा
मन में डर है कही खो ना दूँ तुमको मै
सामने जब मेरे रोज़ तुम आते हो
सोचता हूँ बयां कर दूँ हाले दिल मै
क्या ये है गुनाह ? कह नहीं पाता मै ,
या ये है गुनाह के कुछ न कह सका
जो है मुझको पसन्द ,जो मै करता हूँ
वो है तुमको पसन्द ,तुम भी वो करते हो
फिर भी न जाने क्यूँ डरता हूँ कहने से
जब की सोचते है हम एक, दूजे की तरह ,
तू मेरा है भी नहीं ,फिर भी खोने का ग़म
कैसा है रे ये दिल तुझको अपना लिया ,
कितना अच्छा हुवा ………।
अब मिलोगी तो तुमसे ये कह दूंगा ,
जब मिलोगी तुम हमसे ,मै वो कह दूंगा
वो है तुमको पसन्द ,तुम भी वो करते हो
फिर भी न जाने क्यूँ डरता हूँ कहने से
जब की सोचते है हम एक, दूजे की तरह ,
तू मेरा है भी नहीं ,फिर भी खोने का ग़म
कैसा है रे ये दिल तुझको अपना लिया ,
कितना अच्छा हुवा ………।
अब मिलोगी तो तुमसे ये कह दूंगा ,
जब मिलोगी तुम हमसे ,मै वो कह दूंगा
इस तरह के ख्याल आते ही रहते है
आप के नाम से सवाल उठाते ही रहते है
हम आप के हँसी मुस्कराहट से,
आप के नाम से सवाल उठाते ही रहते है
हम आप के हँसी मुस्कराहट से,
अपने दिल को यूँ ही बहला लेते है
सोचता हूँ की एक दिन तुम समझ जाओगी
शायद कह दोगे तुम जो मुझे लगता है
सोचता हूँ की एक दिन तुम समझ जाओगी
शायद कह दोगे तुम जो मुझे लगता है
मगर सोचते सोचते बरसों हो गए
जैसे हो परसों की बात हो यूँ लगता है
जैसे हो परसों की बात हो यूँ लगता है
"तुमको पाना मेरा मकसद नहीं
मै तो तुमको सिर्फ जीना चाहता हूँ ",
अच्छा ही हुवा तुमने भी कुछ न कहा
इस उहा पोह में ज़िन्दगी कट जायेगी
कितना अच्छा हुवा कुछ न तुमसे कहा ………
सुनील अग्रहरि
अच्छा ही हुवा तुमने भी कुछ न कहा
इस उहा पोह में ज़िन्दगी कट जायेगी
कितना अच्छा हुवा कुछ न तुमसे कहा ………
सुनील अग्रहरि
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