Sunday 1 November 2015

Poem on bewafai , VARNA HINDI POEM - POEM ON TRUST - SUNIL AGRAHARI

 

*****वर्ना *****३० /१०/२०१५ 

ना करो दिल से वफ़ा की दुआ ,
वर्ना पाओगे बेवफाई ही ,

प्यार तो होता है जुदा होकर ,
वर्ना मिलना तो रस्मअदाई ही ,

जिस्म का चैनों सुकून आग में बसा ,
वर्ना ठंडक  तो है सच्चाई  ही ,

इश्क़ करना तो बस हुनर समझो ,
वर्ना है भरोसा आजमाइश ही ,

जारी रखना इश्क में हंसना ,
वर्ना आम है इश्क़ में रुलाई ही ,

क्यूँ तड़पता है न तड़प प्यार में ऐ दिल ,
वर्ना मिलती  है , तन्हाई  ही ,


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