***कह गया ***३०/१०/२०१५/
दिल की खामोशियाँ कह रही
दर्द का परिन्दा उड़ गया ,
दिल का अखबार कह रहा ,
चर्चा तेरे नाम का जुड़ गया ,
लहू का उबाल कह रहा ,
दिल का ग़ुबार रहा गया ,
इप्तदा इबादत की कह रही
बुत वो ख़ुदा सी गढ़ गया
नम आँखों से अब्र कह रहा ,
आश्ना बिन मिले ही बढ़ गया ,
इश्क़ की खलिश दिल से कह रही
वो तो जुर्माना दिल पे मढ़ गया ,
ग़ुबार ----धुंध
इप्तदा ---शुरुआत
इबादत---पूजा
अब्र ---बादल
आश्ना ---दोस्त
खलिश ---चुभन
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