Tuesday 27 October 2015

Hindi kavita rishto par , SAGEY PARAYE HINDI POEM ,सगे पराये - POEM ON RELATIONSHIP

      
*****सगे पराये ***** १९/१०/२०१५ 


रिश्तों की आँधी में अपने पराए हिल गए,
अपने तो ग़ुम , बस पराये ही मिल गए ,

जज़्बाती आँसुओं में अपने ही बह गए ,
पराये ही थे अब तक दिल में जो रह गए ,

उम्मीद  की चाशनी तो अपने चाट गए ,
चालाकी से बड़ी ,अपने पराये कर गए ,

मेरे घर में अपने मेरी इज़्ज़त उतार गए ,
ज़ुबान से नश्तर बन के क़त्ल कर गए ,

हम निवाला हम प्याला वो सब से कह गए,
मुखौटा अपनेपन का  संग उधार ले गए,  





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