**** प्यार ***२/१०/२०१५
प्यार पराया करता है , या अपनों से जुड़ता है ,
रिश्तों का रूप अनोखा है , ये मिलता बंटता रहता है ,
कोई प्यार में जान लेता है ,कोई प्यार से जान देता है,
चाहे अनचाहे रिश्तों में , अपना पराया होता है ,
प्यार में है फरमाइशें ,मिलन जुदाई की ख्वाहिशें,
ऐतबार ,मुकद्दर रिश्तों का ,सिमटना बिखरना होता है,
सूरत सीरत के रिश्तों में , शबनम भी तराशे जाते है ,
इक ठेस उम्र है प्यार की , फिर ये कहीं ना टिकता है ,
प्यार में खून का रिश्ता नहीं,ये तो नज़र का धोखा है,
प्यार से खून हारता है ,प्यार ही खून का रिश्ता है ,
प्यार में खून का रिश्ता नहीं,ये तो नज़र का धोखा है,
प्यार से खून हारता है ,प्यार ही खून का रिश्ता है ,
pyaar se hamein aapki kavitayein padate jaiye aur hamara ashirwad lete jaiye kyunki ashirwad bhi aajkal mushkil se milta hai.
ReplyDeleteसही बात बोली आपने........
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