Tuesday 13 October 2015

Poem on politics , SIYASAT MAUT KI HINDI POEM,सियासत मौत की - poem on bad politics by sunil agrahari


PUBLISHED IN JANKARI KAAL DELHI MAGAZINE MAY22
******सियासत मौत की******(कटाक्ष)१४/१०/२०१५  


ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ,

तू कफ़न के रंग में रहता है , 
क्यूँ मौत की लीला रचता है  
लाशों पे सियासत करता है , 
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ..... 

ग़म के दरिया का पानी  

तू पी कर प्यास बुझाता है  
खून से लथपथ लाशों से  
मज़हब बदनाम करता है , 
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ..... 

इस ज़िन्दादिल  दुनियाँ में ,

तू लाशे पैदा करता  है , 
सोच है तेरी कब्रिस्तान ,
तू खुद को ख़ुदा समझता है 
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ..... 

लहू उबाल के जनता का 

सरे आम कत्ल करवाता है , 
संगीत सुनाता मातम का ,
शमसान सी राह दिखाता है,
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर .....   

चीर कलेजा अपना तू ,

हिम्मत है तो सच बतला  ,
तेरी ज़ुबाँ लहू  हो जाएगी  
जिससे तू मौत बाँटता है ,
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ..... 





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