******चलो चलें ******१२/१०/२००१५
चल बग़ीचे गुलों संग बातें करे ,
बहोत दिन हुए खिलखिलाए हुए,
चलो आज खेलें बच्चों के संग ,
मुद्दतोँ से लड़कपन है भूले हुए ,
चलो भीड़ से आज बाहर चलें ,
बीते दिन कितने खुद संग बैठे हुए ,
चलो आज बचपन की गलियां चले ,
वक़्त बीता बहोत खुद को ढूढ़ें हुए ,
चलो आज दुश्मन के घर चलते है ,
नए दोस्त बनाये बहोत दिन हुए ,
मौत ही है दवा ,चैन से सोने को ,
रात बरसों हुवे ढंग से सोये हुए ,
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