Sunday 11 October 2015

Poem on happiness , CHALO CHALEY HINDI POEM चलो चलें - chalo chale hindi poem by sunil agrahari

******चलो चलें ******१२/१०/२००१५ 

चल बग़ीचे गुलों संग बातें करे ,
बहोत दिन हुए खिलखिलाए हुए,

चलो आज खेलें बच्चों के संग ,
मुद्दतोँ से लड़कपन है भूले हुए ,

चलो  भीड़ से आज बाहर चलें ,
बीते दिन कितने खुद संग बैठे हुए ,

चलो आज बचपन की गलियां चले ,
वक़्त बीता बहोत खुद को ढूढ़ें हुए ,

चलो आज दुश्मन के घर चलते है ,
नए दोस्त बनाये बहोत दिन हुए ,

मौत ही है दवा ,चैन से सोने को ,
रात बरसों हुवे ढंग से सोये हुए ,














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