******ख्वाहिश ******१६/१०/२०१५
दिल तड़प की सुरंग में भटकता रहा ,
कि नरम धूप की रौशनी बन आओगे ,
दिल इंतज़ार के दलदल में धसंता रहा ,
की प्यार की डोर बन दिल खींच लाओगे ,
ख्वाहिश दिल की रही मुट्ठी भर आसमाँ
की तरह प्यार दे कर तुम समां जाओगे ,
दिल की धड़कन का शोर टूटा दरवाज़ा सा
की प्यार से ज़र्ज़र धड़कन रोक पाओगे ,
प्यार को तेरे चाह से जाने क्या रंज़ है
की प्यार को इश्क़ करना सीखा पाओगे
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