Thursday 15 October 2015

Hindi kavita pyar par , KHWAHISH HINDI POEM, ख्वाहिश, SUNIL AGRAHARI


******ख्वाहिश ******१६/१०/२०१५ 


दिल तड़प की सुरंग में भटकता रहा ,
कि नरम  धूप की  रौशनी बन आओगे ,

दिल इंतज़ार के  दलदल में धसंता  रहा ,
की प्यार की डोर बन दिल खींच  लाओगे ,

ख्वाहिश दिल की रही मुट्ठी भर आसमाँ 
की तरह प्यार दे कर तुम समां जाओगे ,

दिल की धड़कन का शोर टूटा दरवाज़ा सा 
की प्यार से ज़र्ज़र धड़कन रोक पाओगे ,

प्यार को  तेरे चाह  से जाने क्या रंज़ है  
की प्यार को इश्क़ करना सीखा पाओगे 

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