***अकेल ही **२०/१०/२०१५
क्यों ज़रूरी है किसी का होना ,आये जब दुनियाँ में अकेले ही ,दर्द में क्यूँ तू सहारा ढूँढे ,सहना जब दर्द को अकेले ही ,न कर इन्तज़ार काफ़िले का तू ,जब सफर मौत का अकेले ही ,ना मचा शोर ज़िन्दगी में कभी ,दफ्न ख़ामोश जब अकेले ही ,ऐ ख़ुदा तू बता संग किसके रहूँ ,साया बिन स्याह में जब अकेले ही ,
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