Tuesday 29 March 2016

Samajik , dharm , jaati , social problem AI KHUDA POEM BY SUNIL AGRAHARI- Poem Religion -ऐ ख़ुदा

  

*****ऐ ख़ुदा ***** जनवरी २०१६ 

तू कहाँ है ऐ परवरदिगार , ज़रा देख ले अपने बन्दों को ,
तेरे खातिर मर मिट मार रहे ,समझा इन धर्म के अन्धो को ,

जब सारे धर्म एक से है , सब की शिक्षा एक सी है ,
सब की बुनियादें एक सी है , फिर क्यों इनमे भेद  है ?

तेरे नाम का  है जो ठेकेदार , वो  बात बात पर ऐंठा  है ,
उन बन्दों की ले ज़रा खैर खबर , किस जहाँ में जा तू बैठा है ,

ऐ खुदाओं सारी दुनियाँ के , क्यों चुप से तमाशा देख रहे ,
क्या तेरी है इसमें  रज़ा  , सब तेरी मन्शा देख रहे ,

इक बार ज़मीं पर आ जाओ , कह दो धरम सब एक है ,
जंग ना कर मेरे खातिर , हम सारे खुदा भी एक से है ,

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