*****कैसे कहूँ*****
गुरु बिन न ज्ञान होव , इक तू ही सच की मूरत ,
ईश्वर की माया नगरी ,किस अर्थ हम है आये ,
अज्ञानी हम अधूरे ,गुरु जी तुम हो ज्ञान पूरक ,
मेरा दिन उदय होता , गुरु जी का नाम ले कर ,
आँखे विश्राम करती , गुरु जी का नाम ले कर ,
रस्ता विहीन मैं हूँ , सद मार्ग तुम सुझा दो,
आशीष अमृत दे दो , मृग तृष्णा को बुझा दो ,
अनजान इस जहाँ में , किस पर करे भरोसा ,
तेरी चरण शरण मिल जाये ,काँटे भी लगे फूलों सा
चित शान्त कर दो मेरा, मोह माया पाश तोड़ो ,
गुरु भक्ति दान दे दो ,मेरा भोले से नाता जोड़ो ,
२६/०१ /२०१६ (गुरु जी)
No comments:
Post a Comment