Wednesday 13 January 2016

GAREEB POEM BY SUNIL AGRAHARI- POEM ON POOR PEOPLE-ग़रीब

 

मारीशश - प्रकाशित 
पत्रिका - आक्रोश 
दिसंबर 2020 

***ग़रीब***(कटाक्ष ) ८ /०१/२०१६ 


कहने की बात है गरीब भी एक दिन अमीर होगा ,
गरीब के अमीर होते ही वहाँ दूसरा गरीब खड़ा होगा ,
सारी दुनियाँ में सब से ज्यादा गरीब ही बिकता है ,
कटा फटा नंगा बिना पैकिंग के ही बिकता है ,
फटे कपड़े की खिड़कियों से उसका अंग झांकता है , 
अमीरों की आँखों में वो मनोरंजन सा दिखता है ,
सच बोलूं तो गरीबों को कोई मदद भी नहीं करता है ,
कोरे वादों की गोली खा के गरीब ही मरता है, 
ग़रीब आगे बढ़ने  की जब भी कोशिश करता है ,
शीशमहल वालों की आँखों में चुभता है ,
ऐ गरीब तू वादा कर ,जब तू अमीर होगा ,
ग़रीबों की मदद करने में तू सब से करीब होगा ,
शिक्षा और हौसले  का हथियार इनको देगा ,
तभी रक्तबीज सा ग़रीबी का अन्त होगा। ........  














No comments:

Post a Comment