मारीशश - प्रकाशित
पत्रिका - आक्रोश
दिसंबर 2020
***ग़रीब***(कटाक्ष ) ८ /०१/२०१६
कहने की बात है गरीब भी एक दिन अमीर होगा ,
गरीब के अमीर होते ही वहाँ दूसरा गरीब खड़ा होगा ,
सारी दुनियाँ में सब से ज्यादा गरीब ही बिकता है ,
कटा फटा नंगा बिना पैकिंग के ही बिकता है ,
फटे कपड़े की खिड़कियों से उसका अंग झांकता है ,
अमीरों की आँखों में वो मनोरंजन सा दिखता है ,
सच बोलूं तो गरीबों को कोई मदद भी नहीं करता है ,
कोरे वादों की गोली खा के गरीब ही मरता है,
ग़रीब आगे बढ़ने की जब भी कोशिश करता है ,
शीशमहल वालों की आँखों में चुभता है ,
ऐ गरीब तू वादा कर ,जब तू अमीर होगा ,
ग़रीबों की मदद करने में तू सब से करीब होगा ,
शिक्षा और हौसले का हथियार इनको देगा ,
तभी रक्तबीज सा ग़रीबी का अन्त होगा। ........
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