*******गुज़ारिश *******१०/०१/२०१६
इक अदद होश में आने की गुज़ारिश की थी ,
वो तो बस मुझसे खामखाँ नाराज़ हुवे।
नज़रअंदाज़ न कर प्यार , गुजारिश की थी ,
थोड़ा मुस्काया फिर, खामखाँ नाराज़ हुवे।
हुस्न पे न कर तू अब गुरुर , गुजारिश की थी ,
अक्स देख आइना में ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
उम्र पहरा पे रख , उनसे गुजारिश की थी ,
घूरा नज़रों से मुझे ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
ख्वाहिश बेपर्दा करदे मुझसे ,गुजारिश की थी ,
शर्म से पर्दा गिरा ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
न कर हावी इश्क ,पे हुस्न ,गुजारिश की थी ,
दबा सुर्ख होठों को ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
ख्वाब में न दस्तक देना , गुजारिश की थी ,
सुन मेरी इल्तज़ा वो ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
न करो जुल्म सितम ,दिल पे ,गुजारिश की थी ,
प्यार न छुपा सके वो ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
इक अदद होश में आने की गुज़ारिश की थी ,
वो तो बस मुझसे खामखाँ नाराज़ हुवे।
नज़रअंदाज़ न कर प्यार , गुजारिश की थी ,
थोड़ा मुस्काया फिर, खामखाँ नाराज़ हुवे।
हुस्न पे न कर तू अब गुरुर , गुजारिश की थी ,
अक्स देख आइना में ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
उम्र पहरा पे रख , उनसे गुजारिश की थी ,
घूरा नज़रों से मुझे ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
ख्वाहिश बेपर्दा करदे मुझसे ,गुजारिश की थी ,
शर्म से पर्दा गिरा ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
न कर हावी इश्क ,पे हुस्न ,गुजारिश की थी ,
दबा सुर्ख होठों को ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
ख्वाब में न दस्तक देना , गुजारिश की थी ,
सुन मेरी इल्तज़ा वो ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
न करो जुल्म सितम ,दिल पे ,गुजारिश की थी ,
प्यार न छुपा सके वो ,खामखाँ नाराज़ हुवे।
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