Monday 11 January 2016

Pyar muhabbat ki kavita ,GUJARISH -POEM BY SUNIL AGRAHARI -गुज़ारिश


*******गुज़ारिश *******१०/०१/२०१६ 

इक अदद होश में आने की गुज़ारिश की थी ,
वो तो बस मुझसे खामखाँ नाराज़ हुवे।

नज़रअंदाज़ न कर प्यार , गुजारिश की थी ,
थोड़ा मुस्काया फिर, खामखाँ नाराज़ हुवे।

हुस्न पे न कर तू अब गुरुर , गुजारिश की थी ,
अक्स देख आइना में ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

उम्र पहरा पे रख , उनसे गुजारिश की थी ,
घूरा नज़रों से मुझे ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

ख्वाहिश बेपर्दा करदे  मुझसे ,गुजारिश की थी ,
शर्म से पर्दा गिरा ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

न कर हावी इश्क ,पे हुस्न ,गुजारिश की थी ,
दबा सुर्ख होठों को ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

ख्वाब में न दस्तक देना , गुजारिश की थी ,
सुन मेरी इल्तज़ा वो  ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

न करो जुल्म सितम ,दिल पे ,गुजारिश की थी ,
प्यार न छुपा सके वो ,खामखाँ नाराज़ हुवे।


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