****अशिक्षित *****
बड़े पढ़े लिखे देखे हमने
गलतियों को दोहराते हुए ,
कराह रही थी इंसानियत
ना देखा बगल से जाते हुए
वो चूर थे अपने ओहदों पर
अपनी नाकामियों को छुपाते हुए
भर रहे थे जेबे अपनी
लोगो का हक़ मारते हुए
भागते तरक्कियो के पीछे
अपनों से दूर जाते हुए ,
छाता लगा बरसात में
पौधों को पानी सींचते हुए
रुखसत हुए जहाँ से
बद्दुआओं में लिपटे हुए हुए
२२/०८ /२०१७
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