Wednesday 2 October 2019

poem on drugs, ANDAZE NASHA , अन्दाज़े नशा POEM BY SUNIL AGRAHARI

 poem on drug addiction in hindi 

    



Published in Jankari kaal , magazine November 2021 

*****अन्दाज़े नशा *****

   दुर्दशा है जीवन की नशे की दिशा    
   उजाला है जीवन ना लाओ निशा 

  ज़िल्लत की मौत नशे से क्यूँ मरे
 बदल दें हम अपनें अन्दाज़े नशा 

 मुश्किल से कितने ये नर तन मिला 
 ना मारो इस रूह को कर के नशा 

मादक हो लत तो इन्सा खुद मरता है 
आओ हम करें मकसद जीने का नशा 
  
  है कितने ही दुनिया में पिछड़े यहाँ 
 आओ सब की तरक्की का कर लें नशा 

 नफरतों के नशे से क्यों बर्बाद हो 
आओ हम करे भाईचारे  का नशा 

इस जहाँ में  रुगबत तलब हर जगह 
ग़ुरबत मिटाने का आओ कर ले  नशा 

फैला है चहुँ ओर आतंक अन्याय  
आओ हम करें इंसानियत का नशा 

 ज़ाहिल  न जाने ही कितने यहाँ  
 आओ फैलायें हम इल्म  का नशा 

   लत नशे से बचे , रोक ले औरों को 
  आओ मिल कर सुधारें दुनियाँ की दशा  



सुनील अग्रहरि 

एलकोन इंटरनेशनल स्कूल 
मयूर विहार - फेज -१ 
दिल्ली -९१  

रुगबत -भूख  ,
तलब -प्यास -तृष्णा
ज़ाहिल- अनपढ़ 
मादक - नशीला 

POEM ON DRUG ADDICTION     

 POEM ON NASHA MUKTI 


      

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