Wednesday 12 February 2020

Politics hindi poem , SIYASI MAUSAM सियासी मौसम poem by sunil agrahari







 


Published in India
Jaankari kaal -Delhi
February 21


क्या जानो कैसे पहचानो की
सियासी मौसम आया है
हर मौसम की जब वाट लगे  
तो सियासी  मौसम आया है 

नेताओ के झंडे बदलने लगे
नेता जी सब से  मिलने लगे
दो धुर विरोधी मिलने लगे 
तो सियासी  मौसम आया है

जब रोड के  गड्ढे भरने  लगे
फुटपाथ पे टाईल लगने लगे
सड़के नाली  साफ़ होने लगे
तो सियासी  मौसम आया है

जब पुलिस  FIR लिखने लगे
गुंडों की ज़मानत होने लगे
पुराने घोटाले  निकलने लगे 
तो सियासी मौसम आया है

राशन कार्ड  सर्वे  होने लगे
वोटर कार्ड बनाने लगे
अस्पताल दवाये देने  लगे
तो सियासी  मौसम आया है

धर्मों पे  बहस जब होने लगे
और धरने प्रदर्शन होने लगे
आरक्षण चर्चा होने  लगे 
तो सियासी  मौसम आया है

हर बात पे ऊँगली उठने लगे
जब विपक्ष सवाल उठाने लगे
बदज़ुबान सियासत होने लगे  
तो सियासी  मौसम आया है

कालाबाज़ारी बढ़ने लगे
प्याज टमाटर छुपने लगे 
जब मुफ्त का माल मिलने लगे
तो सियासी  मौसम आया है

जब सैनिको के शहादत  पर  
गद्दार  सियासत होने लगे 
देश के टुकड़े करने को 
आज़ादी के नारे लगने लगे 
तो सियासी  मौसम आया है


सुनील अग्रहरी 



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