सायं सायं सन्नाटा मातम चारो ओर है
ख़बरों में हर तरफ छाया मौत शोर है
मनहूसियत सुबह लिए जाने कैसा भोर है
हाथों में मौत लिए सांसों की डोर है
मौत धुन कोरोना नाचे दुनियाँ झकझोर है
सहमा संगीत थमा ,डरा हुआ मोर है
मौत की बारिश से दुनियां सराबोर है
कब कौन भीग जाए खौफ , बरखा घनघोर है
कैद अपने घर में बन्दा जैसे कोई चोर है
हर पल हज़ार मौत किसी का न ज़ोर है
तरक्की लाचार आज ,गुम मौत का छोर है
छूने वाला चाँद आज इन्सा , बेबस कमज़ोर है
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