Friday 12 June 2020

corona mahamari hindi poem,Corona hindi poem , INSANI BHOOL - इंसानी भूल - poem on korona BY SUNIL AGRAHARI



              



*****इंसानी भूल***** 


कैसे कैसे सूरमा बेकार हो गए 
अन्जान मौत साये में खामोश हो गए

गुरुर खुद पे कर, ख़ुदा से खेल गए, 
चाल चली शै की , मात खा गए, 

करने क्या चले थे, क्या कर गए ,
हुज़ूरे आला मौत का सामान दे गए, 

पुरखों की हिदायत, नज़रअंदाज़ गए ,
रफ़्ता रफ़्ता कितने,अपने गुज़र गए

कुदरत के इशारे को,अनसुनी कर गए ,
इंसानियत के दुश्मन, कोरोना दे गए ।।

 


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