Monday 14 September 2020

Papa tum to thik they by sunil agrahari, पापा तुम तो ठीक थे, यादे मम्मी पापा की , shraddhanjali kavita


ये मेरे शब्द नही ,

ये उदगार हैं भाई विक्रम के पूज्यानीय माता पिता जी के जाने के बाद, भाई विक्रम को शोकाकुल देख कर उनके हृदय में उठते हुए कुछ हृदय विदारक प्रश्न भाव मिले थे जिन्हें मैंने समेटने की कोशिश की है , श्रद्धा सुमन भाव श्रद्धांजलि माता पिता जी को समर्पित ।   ॐ शान्ति ॐ           9th Sept20




 *****पापा तुम तो ठीक थे***** 

ऐसे कैसे चले गए
जैसे तुम गए हो
ऐसे भी कोई जाता हैं क्या ?
बस मम्मी तक ही नाता था
उनके जाते ही चले गए,
तुम दोनों को साथ ही देखा
जब आया इस दुनियाँ में
फिर तुम दोनों हाथ पकड़
एक साथ ही ओझल हो गए,,,,,,,

एक साथ मिले एक साथ गए
सातों वचन पूरा कर गए
जैसे तुमने निभाया है
ऐसे कोई निभा पाता है क्या ?

विश्वास नही किसी को भी
जैसे तुम चुप चाप चले गए ,
क्या खूब निभाई ज़िन्दगी
मिसाल कायम कर गए
जाते जाते हम सब को
अमृत आशीष दे गए
लेकिन पापा तुम तो ठीक थे
ऐसे कैसे चले गए?

माँ पापा तुम जैसे हो गए
हर कोई जाना चाहता है,
बिरला सुहाग इस कलयुग में 
नारी को कहाँ नसीब होता है
जीवन अंत ये सौभाग्य कहाँ
हर जोड़े को मिलता है ,

अब क्या लिखूं कितना लिखूं
मन चाहे तुम्हे हर पल लिखना
उम्मीदों से ज्यादा पाया है,
है इसकी नही कोई तुलना
धन्य हुआ मैं , ऐ मात पिता
मुझे जन्म दिया इस धरती पर
ये साँसे कम  पड़ जाएगी
लिखने बैठूँ गर अनुभव कर

जीवन सत्य तो है यही
सब को इक दिन जाना है
सच्चे कर्मो का अंतिम फल
जीते जी भोग कर जाना है


पर पता नहीं ये यक्ष मन 
क्यो पूछे मुझसे बारम्बार,,,,,,  की,
पापा तुम तो ठीक थे ऐसे कैसे चले गए ?
पापा तुम तो ठीक थेऐसे कैसे चले गए ?
पापा तुम तो ठीक थेऐसे कैसे चले गए ?

14sept20


Hindi divas ki kavita , हिंदी दिवस कविता सुनील अग्रहरि , hindi diwas poem by sunil agrahari



*****हिन्दी भाषा*****

सब भाषाएँ माता है  
हिंदी उन सब की नानी है,

भाषाओं को सिंचित करती  
गंगा अमृत पानी है,

जनमानस  से जुड़ी हुई 

प्यारी सी एक कहानी है

दुनियाँ की भाषाओं में 
हिंदी की छवि सुहानी है

जो लिखते वही पढ़ते हैं
क्या अद्भुत ज़ुबानी है

गर्मी में शीतलता देती 
प्राण दायनी बानी है

संस्कारों से सराबोर ये 
सारी दुनियां ने मानी है 

भारत देश की भाषा हिन्दी 
मातृभूमि की निशानी है ।