Tuesday, 4 April 2023

Political Hindi poem - Kismat na badli @sunilagrahari


"Kismat na badali" 
"किस्मत न बदली"







सत्ता कुर्सी का परिवर्तन,
हो गई अदला बदली,
बदल गई सरकारें पर,
लोगो की न किस्मत बदली।

बदल गए शहरो के नाम ,
पर ज़ुबां शहर की न बदली,
बदल गए गलियों के नाम ,
पर जनता न बदली ।

खेल में अदला बदली के,
जाने कितनी पीढ़ियां बदली,
झंडे वोटर तक बदल गए ,
पर उनकी सियासत न बदली।

हर बार चुनावी भाषण में
नेताओं की भाषा बदली,
भ्रम करते असली नकली में,
झूठी फितरत न बदली।

बस आई गई सरकारें और,
नेताओं की कारें बदली,
जनता ठन ठन गोपाल रही ,
नेताओं की नियत न बदली ।



सुनिल अग्रहरि 

Monday, 3 April 2023

Budhapa Hindi Kavita @sunil agrahari












ये कविता जानकारी काल" पत्रिका में  अप्रैल 2023 प्रकाशित हुई है।

             *बुढ़ापा*
उमर तुमने चाहे गुजारी हो कैसे,
दुनियां को देखा हो  चाहे भी जैसे,
बुढ़ापा जो बीते अच्छा तुम्हारा ,तो 
कर्म नेक तुमने किया होगा  समझो ।

जवानी में सूरमा भले चाहे होगे ,
पहाड़ों को रेत किया होगा तुमने ,
बीमारी बिना गर बुढ़ापा जो बीते ,तो 
करम नेक तुमने किया होगा समझो ।

भले लाखों जिंदगी हो तुमने बसाई,
भले कितनी दौलत हो तुमने कमाई ,
इज्जत से उतरे निवाला हलख से ,तो 
करम नेक तुमने किया होगा समझो ।

पढ़ाया हो बच्चों को चाहे ही कितना ,
लुटाई हो दौलत उनपे चाहे जितना ,
औलादे गर तुमपे सब कुछ लुटा दे ,तो 
करम नेक तुमने किया होगा समझो ।