Tuesday 4 April 2023

Political Hindi poem - Kismat na badli @sunilagrahari


"Kismat na badali" 
"किस्मत न बदली"







सत्ता कुर्सी का परिवर्तन,
हो गई अदला बदली,
बदल गई सरकारें पर,
लोगो की न किस्मत बदली।

बदल गए शहरो के नाम ,
पर ज़ुबां शहर की न बदली,
बदल गए गलियों के नाम ,
पर जनता न बदली ।

खेल में अदला बदली के,
जाने कितनी पीढ़ियां बदली,
झंडे वोटर तक बदल गए ,
पर उनकी सियासत न बदली।

हर बार चुनावी भाषण में
नेताओं की भाषा बदली,
भ्रम करते असली नकली में,
झूठी फितरत न बदली।

बस आई गई सरकारें और,
नेताओं की कारें बदली,
जनता ठन ठन गोपाल रही ,
नेताओं की नियत न बदली ।



सुनिल अग्रहरि 

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