Monday 3 April 2023

Budhapa Hindi Kavita @sunil agrahari












ये कविता जानकारी काल" पत्रिका में  अप्रैल 2023 प्रकाशित हुई है।

             *बुढ़ापा*
उमर तुमने चाहे गुजारी हो कैसे,
दुनियां को देखा हो  चाहे भी जैसे,
बुढ़ापा जो बीते अच्छा तुम्हारा ,तो 
कर्म नेक तुमने किया होगा  समझो ।

जवानी में सूरमा भले चाहे होगे ,
पहाड़ों को रेत किया होगा तुमने ,
बीमारी बिना गर बुढ़ापा जो बीते ,तो 
करम नेक तुमने किया होगा समझो ।

भले लाखों जिंदगी हो तुमने बसाई,
भले कितनी दौलत हो तुमने कमाई ,
इज्जत से उतरे निवाला हलख से ,तो 
करम नेक तुमने किया होगा समझो ।

पढ़ाया हो बच्चों को चाहे ही कितना ,
लुटाई हो दौलत उनपे चाहे जितना ,
औलादे गर तुमपे सब कुछ लुटा दे ,तो 
करम नेक तुमने किया होगा समझो ।

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