Saturday 17 June 2023

Father's day hind poem पित्र दिवस हिंदी कविता sunil agrahari













पापा तुम्हे प्रणाम है, 
तुम जब थे तो सुबह थी, 
तुम्हारे बिन अब शाम है ,
जब तुम थे तो आराम था,
अब तो काम ही काम है, 
पापा जी, तुम्हे प्रणाम है!

मैं जल्दी में रहता था,
धैर्य आप ने सिखलाया,
मैं आसमान में उड़ता था ,
मिट्टी से जुड़ना सिखलाया
आप सदा ही कहते थे 
बड़े होकर पता चलेगा 
"आटा चावल का क्या दाम है ",
पापा जी ,तुम्हे प्रणाम है!

खाना थाली में मत छोड़ो 
अन्न की कीमत समझाया
मैं देर से सो कर उठता था
ब्रह्म मुहूर्त से मिलवाया
आप की शिक्षा के आगे 
सब बातें बेदाम है
पापा जी,तुम्हे प्रणाम है 

साफ़ सफाई अनुशासन
वख्त के पाबंद थे आप,
अंत समय भी क्या संयोग
रूमाल घड़ी थी आप के हाथ,
डर था या दिल में सम्मान
हम आप से भागते रहते थे ,
जीवन के हर सुख दुख में
आप के साए में रहते थे ,
कठिन परिश्रम आप से सीखा
मेरे जीवन आ रहा काम है ,
पापा जी,तुम्हे प्रणाम है 

सेवा और संस्कार ही जीवन
मूल मंत्र का ज्ञान दिया,
स्वस्थ रहो और सुखी रहो
सब को ये आशीर्वाद दिया ,
21 दिन आप को गए हुआ
13 जून को जन्म दिन था,
अठारह जूनआज पित्र दिवस 
आई लव यू पापा कहना था,
कुछ दिन और रुक जाते 
ये पर्व भी आप से मिल पाते,
भोर ही में गो लोक गए 
त्यागा ये मृत्यु धाम है ,
पापा जी ,तुम्हे प्रणाम है 

आपके दैनिक जीवन के योग 
सेवा संपर्क संस्कार सहयोग
आप के जीवन के आयाम
रघुपति  राघव राजा राम है
पापा जी ,तुम्हे प्रणाम है 
शत शत तुम्हे प्रणाम है 
बारम्बार प्रणाम है 







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