Friday 9 January 2015

Vyangya kavita , contemporary hindi kavita लाइन (line )व्यंग्य - hindi poem on line

            ***लाइन***  (line )व्यंग्य (९/०१/२०१५ )-३:४५ सांय काल 






हिंदी में कहते पंक्ति  और ,अंग्रेजी में कहते  लाइन 
शार्ट फॉर्म में कहते क्यू (Q )  और उर्दू  में कतार है लाइन
मेरे
पैदा होने से पहले हॉस्टपीटल में डॉक्टर से मिलने की लाइन 
जो हुवा पैदा तो स्वास्थ का टीका लगवाने की लाइन 
बड़ा  हुवा थोड़ा तो स्कूल में एडमिशन की लाइन ,
किया स्कूल में  एंटर तो मिली असेंबली की लाइन ,
क्लास की पढाई में आर्ट, जिऑमेट्री की लाइन ,
स्कूल पास कर कॉलेज में एडमिशन की लाइन ,

जो कॉलेज पास हुवा तो नौकरी  में interview की लाइन ,
नौकरी की देश में ,प्रमोशन हुवा विदेश  में  ,
विदेश जाने के खातिर पासपोर्ट बनवाने  की लाइन ,
बन गया पासपोर्ट तो मिली  वीज़ा की लाइन ,
एयरपोर्ट पे इंट्रेंस और लगेज की लाइन ,

टैक्सी और ऑटो  में बस में ट्रेन  में लाइन ,
सैलरी लेने बैंक गया तो मिली एटीएम में लाइन ,
गया जो रेस्टोरेंट में तो आर्डर डिलिवरी में लगा टाइम  ,
वेटर से पूछा इतना लेट क्यूँ  है ?
वो बोला साहब आप का आर्डर Q (line) में है 


सर्कस में खेल में मूवी हाल में लाइन 
राशन की दुकान पर लेने वालो की लाइन 
बिजली पानी बिल टैक्स जमा करने की  लाइन ,
कोर्ट कचेहरी जेल में मुजरिम की  बड़ी लाइन ,
मंदिर मस्जिद गुरुद्वार और चर्च में  भक्तों की लाइन ,
भंडारे और लंगर में भूखो की  लम्बी लाइन ,

रिटायर हुवा नौकरी से पेंशन लेने की लाइन ,

ज़िन्दगी के फेल पास में आई  मुकद्दर की  लाइन
हथेली पे किस्मत की नेपोलियन ने  खींची थी लाइन 
चक्कर में लाइन के खो गई अपनी ज़िन्दगी की शाइन ,

चला अन्तिम यात्रा पर चार कंधो पे होके  सवार ,
न पीछा छूटा लाइन का शमशान पे मिल गई फिर से कतार (LINE ) ,
ज़िंदा लोगो की लाइन में रहती थी बड़ी मारामार ,
ये तो मुर्दों की थी लाइन  , सब लेटे  थे पॉव पसार ,
जीवन है  समझो माझी , तो मानो पक्ति है पतवार ,
है डेरा लाइन का चारो तरफ , है  लाइन की कतार,
इन सीधी लाइनो में उलझा है  सारा संसार 
जीवन  पार न  होवे , बिना  लाइन पे हो  सवार   ....... 

4 comments:

  1. Wow!
    Kya baat, kya baat !
    kabhi line ko gaur se dekha nahi tha,
    yu to line se pareshaan main bhi thaa,
    line ne yahan roka line ne wahan mara,
    Lakshaman rekhaon ka hai phaila jaal saara,

    har desh ki hade hain, har desh ki hai line,
    zara paar kar ke dekho , kya tagda hai fir fine,
    lino ne desh baante linon ne dil ko baanta
    jahan jodhnaa tha mumkin , line ne wahan kaata

    bas line jo mil jai ik dil ko doosre se
    to line ki hi kadhi me bandh jaye jahan saara

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  2. बहुत ही सुन्दर कविता
    वाकई इन्हीं लाइनों में सारा जीवन बीत रहा है !
    बधाई हो

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  3. Apki Kavita ke liye badhayi
    Bahut saral shabdo me aapne 'so called' sabhya samaj ki jatilta batayi hai aur uspar Sunita ma'am ka jawab to sone par suhaga hai .

    Agar dhyan se dekhein to line yahin nahin rukti hai , upar chitragupt ji ke pas line hi milti hai .

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  4. Sir bahut hi badiya hai apki kavita.......Kavita me likha har ek shabd samaz ki sankeedta ko bayan kar raha hai.

    Shayad hum bhi inhi lineo me ulazkar aur simatkar hi bathe hai

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