……वफ़ादारी (कुत्ता )-१५/०१/२०१५/......
सूनी राहों में न जाने किसे देख, चिल्लाता है रात भर ,
उसकी वजह से ही तो चैन से सोते है परिवार भर ,
प्यार से जब भी उसे देखा , लिपट जाता है पैरों से
सेना से आम आदमी तक ,होती है उसकी पूछ ,
नहीं वो छोड़ता कभी साथ , चाहे नीच हो या ऊँच ,
मिले फेंक के चाहे या बर्तन में, हर भोजन है अच्छा ,
कोई घूमे गाड़ी पे , कोई सड़क पे आवारा ,
किसी ने प्यार से चूमा , किसी ने ईंट से मारा ,
सब से ज्यादा मौत सड़को पे इनकी ही होती है
कहानी और फिल्मो में चर्चा , इनकी भी होती है
नहीं आया इनमे कोई बदलाव , सदियों से आज तलक ,
इन्सां ने ना सीखा इनसे कुछ , बदल जाता है झपकते पलक,
हमारी दुनियां में इनकी , नहीं है भागीदारी कम,
वफ़ादारी इनसे सीखें ,निभाएं ज़िम्मेदार हम ………
BAHUT HI BADIYA>>>>>
ReplyDeleteSir, apki likhi her kavita me dam hai
Aur, aap bhi kisi se na kam hai
Dekho, kavi to pahucta hai sirf ravi tak
Per, aap pauchte samaz ke har pahlu tak
Aapse chipa hai na koi saksh
Kyuki pakad lete hai aap sabhi ko
shabdo me kaid kar kavita bana lete hai
aur chu jate hai wo sabhi ke mann ko