........ ख़तम समझो ……व्यंग्य ………(११ /०७/२०१५ )
शेर अर्ज़ करता हूँ.......
बदलती दुनियां का असर ,लोगो पे ऐसा होने लगा ,
की ये आदमी बेवकूफ और फोन स्मार्ट होने लगा ,
तो कहते है ……
मोबाईल जब से आया है ,कैमरा तो ख़तम समझो , ,
टाइम मोबाइल में क्या देखा ,घडी भी अब ख़तम समझो ,
जली क्या लाइट मोबाइल में ,टोर्च भी ख़तम समझो ,
fm मोबिल क्या बोला ,रेडिओ पैकअप है समझो ,
मोबाइल ने गाना क्या गाया , mp3 cd ख़तम समझो,
मोबाइल में sms आने से ,लेटर भी ख़तम समझो ,
मोबाइल से जोड़ घटाना भाग ,कैलकुलेटर भी ख़तम समझो ,
मोबाइल पे कंप्यूटर सा काम ,कंप्यूटर भी ख़तम समझो ,
मोबाइल जब से है आया , सच झूठ का भरम समझो ,
मोबाइल से बात कहीं करना , इंसा से दुरी ख़तम समझो ,
मोबाइल से बच्चे होंगे पैदा , सोचो क्या ख़तम समझो ,
मोबाइल जब से है आया ,चैन सुकून ख़तम समझो ,
शायराना अंदाज़ में कहते है …………
और अगर आप का मोबाइल बीवी हाथ में आया ,
माँ कसम से कहता हूँ , वो पती ख़तम समझो ,
मोबाइल की मुट्ठी में दुनियाँ , ये दुनियां भी ख़तम समझो ,
मोबाइल है या भस्मासुर , छुआ जिसको ख़तम समझो ,
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