******गुरूर*****
सातवें आसमान पे रहने की,
आदत ही बदल गई ,
लगता था मुझको ,
सब कुछ का ज्ञान है ,
सब कुछ का ज्ञान है ,
सिर्फ मेरा ही सम्मान है ,
और जो ना समझ पाया ,
उसमे अपमान है ,
कैसी ग़लतफ़हमी मैंने पाल रखी थी
शेर के खाल में बिल्ली पाल रखी थी ,
ज़िन्दगी का मुझपर एहसान हो गया ,
वक़्त रहते गलतियों का भान हो गया ,
खाली जगह ज़िन्दगी में रह गई है काफ़ी ,
मुझे ज़िन्दगी में बिछड़ो से मांगनी है माफ़ी ,
ऊँचाई पर न बैठना , रहता है डर गिरने का ,
ऊँची सोच रखना , रहता ना ग़म मरने का ,
सब का अंत आना है , सब कुछ यहीं रह जाना है ,
अहम की कश्ती को कम पानी में डूब जाना है ,
रहम के परिंदों को जीते जी तर जाना है ,
गुरूर का सुरूर तो एक दिन उतर ही जाना है ,
मैं मैं के गुरूर में तो बकरे को कट जाना है ,
वक़्त रहते संभलो ,
वक़्त रहते गलतियों का भान हो गया ,
खाली जगह ज़िन्दगी में रह गई है काफ़ी ,
मुझे ज़िन्दगी में बिछड़ो से मांगनी है माफ़ी ,
ऊँचाई पर न बैठना , रहता है डर गिरने का ,
ऊँची सोच रखना , रहता ना ग़म मरने का ,
सब का अंत आना है , सब कुछ यहीं रह जाना है ,
अहम की कश्ती को कम पानी में डूब जाना है ,
रहम के परिंदों को जीते जी तर जाना है ,
गुरूर का सुरूर तो एक दिन उतर ही जाना है ,
मैं मैं के गुरूर में तो बकरे को कट जाना है ,
वक़्त रहते संभलो ,
वर्ना क्या समझना और क्या समझाना है।
Very mindful poem sir. Ego is the most dangerous disease which not only harms a person but also harms an environment.
ReplyDeleteVery mindful poem sir. Ego is the most dangerous disease which not only harms a person but also harms an environment.
ReplyDeleteनमस्कार सुनील सर , गुरूर.... बिल्कुल सही कहा अपने , हम ज़िंदगी में कितने ही ऊँचे पद पर पहुँच जाए अगर इसी बात का गुरूर हो जाए तो उतने ही नीचे गिर जाएँगे बहुत सुंदर कविता है मेरी शुभ कामनाएँ आपके साथ है
ReplyDeletewell said sir. I also beleive so. Keep it up. Outstanding
ReplyDeleteबधाई बधाई सुंदर कविता के लिए सचमुच हम सबने शेर के खाल में बिल्ली पाल रखी है।
ReplyDeleteTrue fact of life explained beautifully
ReplyDeleteBahut hi sunder kavita hai sir...Kitne saral aur arthpurn sabdo me itne gehri bat ko rakha hai...wah wah...Kitne bhi tariff ki jaye kam hai....is guroor ko Jante hue bhi hum isi se bhare hai..zaroorat hai Apne ander jhakhne ki
ReplyDeleteaur isse dur rehne ki
Bahut hi sunder kavita hai sir...Kitne saral aur arthpurn sabdo me itne gehri bat ko rakha hai...wah wah...Kitne bhi tariff ki jaye kam hai....is guroor ko Jante hue bhi hum isi se bhare hai..zaroorat hai Apne ander jhakhne ki
ReplyDeleteaur isse dur rehne ki