Sunday 29 January 2017

Poem on ANSOO, AWARA ANSOO POEM BY SUNIL AGRAHARI- ON TEARS आवारा आँसू

   published i Akrosh Magazin May 22

**आवारा  आँसू  **    


सुख दुःख तन्हाई के मौसम में, 
कोई आए  चाहे ना आए  ,
आँखों का घरौंदा छोड़ ज़रूर ,
आंसू आवारा आ जाते  हैं ,

आँखों के हंसी आशियाने में ,
ये छुप के बैठे रहते  हैं ,
ज़ज़्बात के इक आवाज़ पर ,
आंसू आवारा आ जाते  हैं,

दिल भारी उथल पुथल में हो ,
इनको न गवारा होता  है, 
जब तक दिल हल्का न होले  ,
आंसू आवारा बहते  हैं 

सूरते हाल बयाँ करते ,
हर ज़िंदा दिल की आँखों से,
रोक न पाता कोई जब ,
आंसू आवारा होते  हैं,  

आँखों से निकल कर गालो तक ,
मंज़िल बंजारों सी होती है ,
तासीर में गर्मी होती है ,
जब आंसू आवारा होते हैं ,

खुदगर्ज़ मिजाज़ हैं इनके ,
 ये वापस कभी ना जाते है ,
लम्बी यादें  दे जाते हैं,
जब आंसू आवारा होते  हैं...... ...... 29/01/17 





















Tuesday 24 January 2017

Poem on zindagi , INTAZAM- Hindi poem on parenting, by sunil agrahari -इंतज़ाम



   
****इंतज़ाम ****                             

मेरी ये कविता उन माता पिता को समर्पित है,
जिनके बच्चे रोज़गार के सिलसिले में माता पिता से दूर रहते है .....            

औलादें  पैदा होती है ,                                                                                                                        
सारी कायनात खुश होती है ,
और****
उनकी परवरिश में कमर टूट जाती है ,
सोचते हैं  एक दिन, बुढ़ापे का सहारा बनेंगे ,
सुख दुःख के साथी बन कर रहेंगे ,
सोच कर*****
हमने फर्ज़ माँ बाप का चुका तो दिया ,
जैसे खुले पिंजरे में दाना बाहर रख दिया,
परिन्दों को मिला उनका आसमाँ ,हम हुए खाली,
तन्हा हुए घर कोने , अब अकेले मानते है दिवाली ,
और अब ये आलम है के ******
वो बच्चे  दूर से मज़बूरियों का रोते  है रोना  ,
फिर बाते बड़ी कर के सिखाते हैं जीना ,
तब एहसास हुआ माँ बाप को*****
"न करें फर्जअदाई , तो दीन से गए ,
और करें ,तो  दूर अपनी जान से गए,
जान कर अन्जाने में हम ,कैसा काम कर गए ,
हम तो अपनी ही तन्हाई का इंतजाम कर गए"********
२३/०१/२०१७