published i Akrosh Magazin May 22
**आवारा आँसू **
सुख दुःख तन्हाई के मौसम में,
कोई आए चाहे ना आए ,
आँखों का घरौंदा छोड़ ज़रूर ,
आंसू आवारा आ जाते हैं ,
आँखों के हंसी आशियाने में ,
ये छुप के बैठे रहते हैं ,
ज़ज़्बात के इक आवाज़ पर ,
आंसू आवारा आ जाते हैं,
दिल भारी उथल पुथल में हो ,
इनको न गवारा होता है,
जब तक दिल हल्का न होले ,
आंसू आवारा बहते हैं
सूरते हाल बयाँ करते ,
हर ज़िंदा दिल की आँखों से,
रोक न पाता कोई जब ,
आंसू आवारा होते हैं,
आँखों से निकल कर गालो तक ,
मंज़िल बंजारों सी होती है ,
तासीर में गर्मी होती है ,
जब आंसू आवारा होते हैं ,
खुदगर्ज़ मिजाज़ हैं इनके ,
ये वापस कभी ना जाते है ,
लम्बी यादें दे जाते हैं,
जब आंसू आवारा होते हैं...... ...... 29/01/17
आँसुओं को रोक लेना वरना ज़माने में लोग बदनाम कर जाते हैं ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता , बधाई हो ।
As usual very beautiful and deep poetry by you but that is true that we feel light when tears rolled down from the eyes . Keep on writing sir .Again many congratulations.
ReplyDeleteAs usual very beautiful and deep poetry by you but that is true that we feel light when tears rolled down from the eyes . Keep on writing sir .Again many congratulations.
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता , आँसुओं की भाषा हर कोई नहीं समझ सकता ! मुबारक हो सर
ReplyDeleteहमें अगली कविता का इंतजार रहेगा !
बहुत ही सुंदर....ये आँसू कभी ख़ुशी के छलकते है, तो कभी दुःख में अनायास आ जाते है ....न चाहो फिर भी ,बरबस ही छलक जाते है ||
ReplyDeleteSuch as a wonderful peom
ReplyDeleteThank u so much , शुक्रिया आभार , आप हमेशा खुसग रहे ।
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