Friday 24 March 2017

Na soojha hindi poem by sunil agrahar - Hindi poem on views ,ज़िद , कविता -ना सूझा , poem on realty of life

           

  

 Published 

magzine - Jankaari kaal 

Delhi - February 21             

उम्र भर आँखे मसलता रहा 
मुसलसल चश्मा साफ़  करत रहा ,
न सूझा के धूल नज़रिये में है ,
इल्ज़ाम ज़माने पे लगाता रहा ,

ख़ुद को क़ामिल समझता रहा,
मशवरा मुफ्त सब को देता रहा  ,
न सुझा के महफ़िल की सुन लूँ  कभी ,
बेवजह तमाशा मैं बनता रहा ,

बेसबब बहस उनसे करता रहा ,
बातें मुकम्मल ,काटता मैं रहा ,
न सुझा के स्याह तो स्याह होता है ,
बारहा सोने को पीतल कहता रहा........ 

सुनील अग्रहरी 

मुसल्सल- लगातार 
क़ामिल  - सम्पूर्ण होना 
मशवरा  - सलाह 
बेसबब   - बिना मतलब 
मुकम्मल - सही बात 
बारहा     - कई बार,प्रायः     
   

 २४/०३/२०१७  












Wednesday 22 March 2017

poem on samajik samsya , social issues JUNG POEM BY SUNIL AGRAHARI - जंग

   

****जंग  ****  poem on fight , poem on social issues ,jung                                                       


जंग की बहार है ,जंग की बहार है ,
तंग दिल हर तरफ़ तादाद बेशुमार है ,

छोटी मोटी बात पर लड़ाई आर पार है ,
दो दिलों के बीच खींची अहम् की दीवार है ,


जीत सिर्फ अपनी है दूसरों की हार है ,
सहन न कुछ भी पर प्यार की दरकार है ,

बाँटना ना कुछ भी बस लेने की गुहार है ,
पेट है भरा फिर भी खाने की मार है ,

सूफ़ी है सहमे और अताइयों के वार हैं,
नफरतों की धूप में मुरझा रहा प्यार है ,

दुश्मनी है खुल के ,सिकुड़ता सा प्यार है ,
इंसान अपनी जंग का खुद हो रहा शिकार है ....... 

23/03/2017 











Tuesday 21 March 2017

Poem on life's , zindagi , NAGINE - BY SUNIL AGRAHARI - poem on relationship नागिनें




रूहानी रिश्ते 

*****नागिनें ***** 

ताउम्र इश्क करता रहा ,
उंगलियो पे सजे नागिनों से ,

ना समझा रूहानी रिश्तों को ,
जो बेशकीमती थे क़रीने से ,

रुखसत हुआ जहाँ से ,
असल नगीने 
सफ़ेद चोले  में जनाज़े से ,

आया चल कर उनके कन्धों पर ,
जिनको लगाया ना था कभी गले से ,

वो नागिनें पड़े थे मुझसे दूर ,
जो मेरे जिस्म के थे अजीज़ से ,

रिश्ते असल नगीने है,
समझा मैं बड़ी देर से ,

रिश्ते ही ज़िन्दा रहते है ,
सफ़ेद चोले में जनाजे से 
बाक़ी हैं ख़ाक से ,

सुना है मेरे कारवाँ में ,
ग़ैर थे बहोत करीब से ........

२१/०३/२०१७






रिश्ते करीब के