Wednesday 17 January 2018

POEM ON POLITICS, SIYASAT KI RAANI --SUNIL AGRAHAI-सियासत की रानी


***सियासत की रानी ***

सियासत की रानी तुम, बड़ी बेरहम ,
करती हो धोखा , दे के भरम ,

हमें हर घड़ी  अब , डर  है तुम्हारा ,
तुम्हारे बिना अब ना ,जीना गुजारा ,
ना जाने किसके कब ,फूटे करम ,
सियासत की रानी तुम बड़ी बेरहम।

नेता जी की जेब में , घर है तुम्हारा ,
अनपढ़ दलालों को , देती हो सहारा ,
बहस चाय चर्चा पे ,गरमा गरम, 
सियासत की रानी तुम बड़ी बेरहम ,

गिरगिट का रंग भी,अब तुमसे हारा ,
रंक हो या राजा कोई, सगा ना तुम्हारा ,
बंटा धार करती , हो कोई भी धरम ,
सियासत की रानी तुम बड़ी बेरहम।      

१८/०१/२०१८ 








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