***सियासत की रानी ***
सियासत की रानी तुम, बड़ी बेरहम ,
करती हो धोखा , दे के भरम ,
हमें हर घड़ी अब , डर है तुम्हारा ,
तुम्हारे बिना अब ना ,जीना गुजारा ,
ना जाने किसके कब ,फूटे करम ,
सियासत की रानी तुम बड़ी बेरहम।
नेता जी की जेब में , घर है तुम्हारा ,
अनपढ़ दलालों को , देती हो सहारा ,
बहस चाय चर्चा पे ,गरमा गरम,
सियासत की रानी तुम बड़ी बेरहम ,
गिरगिट का रंग भी,अब तुमसे हारा ,
रंक हो या राजा कोई, सगा ना तुम्हारा ,
बंटा धार करती , हो कोई भी धरम ,
सियासत की रानी तुम बड़ी बेरहम।
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