प्रयाग वासियों के कुनबे में उमड़ा ऐसा प्यार ,
हौले हौले सौ दिनों में जुड़ गए 17 हज़ार
वख्त ने जिनको भुला दिया था संगी साथी बिछुड़े
अपनो से फिर मिल पाए , दुनिया के भूले बिसरे
२४ घण्टे सतो दिन महफ़िल सजती रहती है
यादों के झरोखों से संस्कृति झांकती रहती है
ये ग्रुप है संगम धारा डुबकी संग हो रहे है पार
कुम्भ के मेले जैसे रौनक फैली छटा बहार
हर जाती धर्म का स्वागत है मजहब है इलाहाबादी
हुनरबाज हरफ़नमौलों से सजी है हर वादी
छोटी सी एक कोशिश थी ग्रुप बरगद का सा वृक्ष खड़ा
इलहाबादियो की चाहत से ये जैसे फौलाद खड़ा
मकसद ग्रुप का यारो सब मिटटी से अपने जुड़े रहे
दूरियां सारी मिट जाए , चाहे हम कितनी दूर रहे
भाईचारा इस कुनबे का प्यार मुहब्बत बना रहे
इस परिवार का बाँदा यारों जहाँ भी है आबाद रहे।
छोटी सी एक कोशिश थी ग्रुप बरगद का सा वृक्ष खड़ा
इलहाबादियो की चाहत से ये जैसे फौलाद खड़ा
मकसद ग्रुप का यारो सब मिटटी से अपने जुड़े रहे
दूरियां सारी मिट जाए , चाहे हम कितनी दूर रहे
भाईचारा इस कुनबे का प्यार मुहब्बत बना रहे
इस परिवार का बाँदा यारों जहाँ भी है आबाद रहे।
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