इज्जत अस्मत भ्रष्टाचार ,
का रावण यूं ही आयेगा,
अपनी मर्जी से जो चाहे,
अत्याचार कराएगा ।।
मत रहो भरोसे औरों के ,
कोई ना कुछ कर पाएगा,
बर्बादी तेरी होने पर
सियासत वो चमकाएगा ।।
धन दौलत लालच दे कर ,
अपनी जान छुड़ाएगा,
बंदूक तेरे कांधे पर रख,
जनता को भड़कायेगा ।।
मलिन विचार के रावण की
ऊर्जा का संघार करो ,
जड़वत हुए समाज में
तब कुछ ना कर पायेगा ।।
अपनी रक्षा खुद करो ,
सदैव सतर्क होशियार रहो ,
तब समाज में ये दानव,
कुछ भी ना कर पाएगा ।।
No comments:
Post a Comment