Thursday, 19 September 2024

Self defence hindi poem - Bacho hindi Kavita @sunilavrahari










इज्जत अस्मत भ्रष्टाचार ,
का रावण यूं ही आयेगा,
अपनी मर्जी से जो चाहे,
अत्याचार कराएगा ।।

मत रहो भरोसे औरों के ,
कोई  ना कुछ कर पाएगा,
बर्बादी तेरी होने पर 
सियासत वो चमकाएगा  ।।

धन दौलत लालच दे कर ,
अपनी जान छुड़ाएगा,
बंदूक तेरे कांधे पर रख,
जनता को भड़कायेगा ।।

मलिन विचार के रावण की 
ऊर्जा का संघार करो ,
जड़वत हुए समाज में 
तब कुछ ना कर पायेगा ।।

अपनी रक्षा खुद करो ,
सदैव सतर्क होशियार रहो ,
तब समाज में ये दानव,
कुछ भी ना कर पाएगा ।।





No comments:

Post a Comment