Thursday 9 January 2014

कैसे कहूं - कविता , hindi poem relationship


                     ……… कैसे कहूं………


कैसे कहूं तुमको अपना ,
बुत पत्थर  के से रिश्ते है। 


दिल धूल सा बन पैरों पे गिरा 
तुम अंजानो से  मिलते रहे ,
कुछ भी न कहा क्या खता मेरी ,
बस ज़ख्मो पे मेरे हँसते रहे ,
कैसे कहूं तुमको अपना  ………। 



कई बरस सफर संग हमने किये 
सोचा था एक भरोसा है ,
मोड़ जहाँ अन्धा  आया ,
वही छोड़ दिया हमें सस्ते में ,
कैसे कहूं तुमको अपना  ………। 



मन गीली रेत सा बोझिल है ,
अरमान गिरा मेरा कटी पतंग ,
अब रिश्तों कि कोई उम्र नहीं ,
जज़बाती ठन्डे बस्ते में ,
कैसे कहूं तुमको अपना  ………। कैसे कहूं तुमको अपना  ……। 







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