Friday, 25 October 2013

हो गया ( व्यंग्य ) - hindi poem on politics , poem on corruption

      ……… हो गया ( व्यंग्य  )……


जानता का कैसा  बुरा हाल हो गया 
दुस्शासन जैसे शासन का हाल हो गया 


कार खरीद कर मै बेकार हो गया 
पेट्रोल की भराई  से बीमार  हो गया 
जानता का कैसा………………… 

 दाम सुन बादाम का बेदाम हो गया
कौड़ी  पैसा  रूपया  छदाम  हो गया  
जानता का कैसा   …………………

प्याज के कमाल से धमाल हो गया 
हाल आम आदमी का बेहाल हो गया 
जानता का कैसा  …………………… 

रूपया की कीमत से बवाल हो गया 
डॉलर धोती , रूपया  रुमाल हो गया 
जानता का कैसा …………………… 

जी हज़ूर  कर ,सूख  खजूर  हो गया
सच  बोलना भी अब कसूर हो गया
जानता का कैसा ……………………


देश में धरम का भरम हो गया 
रम पी के जैसे बेशरम हो गया 
जानता का कैसा  ……………………



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