Thursday 3 October 2013

सवाल खड़ा होता है -कविता , life's problems hindi poem

              

आया है वक़्त कैसा ,
भरोसा नहीं किसी का ,
हर बात बात पे अब  
सवाल खड़ा होता है 

''मिड डे मील '' से मीलों मील

 भागे गरीब बच्चा ,
 ऐसे पोष्टिक आहार पे 
सवाल खड़ा होता है 

जनता के हक़ का ,

हक़दार नेता अफसर 
ऐसे घोटाले बाजों पर
सवाल खड़ा होता ,

गरीबी मिट सके न 

गरीब ही मार डालो 
ऐसे जन हित योजनाओं पे
सवाल खड़ा होता है 

मै  हूँ देशप्रेमी  
जनता का सच्चा सेवक 
नेताओं के इस बयान पे
सवाल खड़ा होता है ,





बेवक्त बेबुनियाद ,
कब बन्द होगा जवाब 
ऐसे ही सवाल पर 
 सवाल खड़ा होता है ,



सच्चाई दफ्न  कर के ,जब झूठ खड़ा होता है 
गरीबों की थाली में जब अन्न सड़ा  होता 
घोटाले में शामिल जब नेता बड़ा होता है 
गुनाहगार बेगुनाही के सुबूत पे अड़ा होता है 
जब थक के चकना चूर , ईमान  पड़ा  होता है 
ऐसे  पापी लोगों का चिकना  घड़ा होता है  
ऐसे ही हालातो में सवाल खड़ा होता है 
ऐसे ही सवाल पर  सवाल खड़ा होता है
ऐसे ही सवाल पर  सवाल खड़ा होता है 














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