………… तृष्ण ………
है पता मुझे न मिलेगा तू ,
पर तलाश रहा नादानी में
पर तलाश रहा नादानी में
खुशबू सी तेरी आती है ,
मै सांस रोक रुक जाता हूँ ,
मै सांस रोक रुक जाता हूँ ,
हर सूरत में तू दीखता है ,
हरकत करता बचकानी मै ,
हरकत करता बचकानी मै ,
दिल करता है इन्तज़ार तेरा
अपनी इस नई कहानी में ,
अपनी इस नई कहानी में ,
सवाल तेरा जब आता है ,
करता हूँ आना कानी मै
करता हूँ आना कानी मै
मै समझ न पाया अब तक क्यूँ ,
1-रीते पल = खाली समय
No comments:
Post a Comment