Tuesday 28 January 2014

chup chup ke hindi geet ,छुप छुप के - कविता ,prem geet , hindi poem for love

                 

तुम मुझको कभी देखो , छुप छुप के ज़माने से ,
फिर मै भी तुम्हे देखूं , छुप छुप के ज़माने से,

मेरा दिल नहीं डरता है , तुझे मिलने आने से ,
मेरा दिल तो धड़कता है , इक़रार नामे से ,

जब तक बचाना चाहो , तुम बच लो ज़माने से 
एक दिन तुम आओगे , बच बच के ज़माने से ,

गुलज़ार है दिन होता , तेरे हंसाने हँसाने से ,
चंदा भी शरमाये , तेरे मुस्कुराने से ,

तेरा देख ग़दर यौवन ,मेरा वक़्त ठहरने से ,
दीदार करूं हर पल , बिना डरे ज़माने से ,

कहीं चूक न जाना तुम , मुझपर निशाने से ,
कही रह न जाओ तुम ,मुझे आजमाने से ,

तेरे इश्क़ में डूबा सुनील ,लिखता है तराने से ,
मेरी गीत ग़ज़ल बन जा ,तुझे  जप लूं माले से ,

मै एक शहंशाह हूँ ,आशिक घराने से,
बन कर आजा बेग़म ,अपने आशियाने से .



No comments:

Post a Comment