Sunday 18 May 2014

Teer hindi poem, contemporary hindi poem , , तीर - HINDI BEST POEM ON TEER BY SUNIL AGRAHARI

Published in  Mauritius 

Magazine - Akrosh

April 19 

.........तीर  17/05/2014  .........


जी हाँ मैं तीर हूँ ,आप ने सही सुना ,
कभी शब्दों का , कभी औजारो का ,
कभी मिजाज़ो का , तो कभी आवाज़ो  का ,
किसने बनाया पता नही ,
किसने नाम दिया पता नहीं ,

लेकिन       लेकिन      लेकिन 
मै इतना ज्यादा उपयोगी हूँ   ?
आश्चर्यचकित हूँ  … अपनी प्रतिभा से ,
इस कायनात का हर जीवित शै 
मुझको ज़रूर उपयोग करता है ,
चाहे  अपनी अस्मिता  बचानी हो ,
या किसी की मिटानी  हो ,
कभी चला सत्य पर ,
कभी चला असत्य पर ,
कभी चला जुबान से , शब्दों का बाण बन कर ,
कभी चला कमान  से , दुश्मन पे तीर बन कर ,
निशाने पर लगते ही विपक्ष ढेर होता है ,
तीर की वफ़ाई पर पक्ष शेर होता है ,

लेकिन       लेकिन      लेकिन ,
मै हूँ ग़ुलाम , बात ये है सच्ची 
पर मेरी किस्मत तब तक है अच्छी 
जब तक तरकश में हूँ पड़ा सोता ,
हकीक़त में मै कई  बार हूँ  रोता ,
कैसे कहूँ ,कितना कहूँ ,  समझ नहीं आता ,
कैसी भूल कर दी  ,  ओ मेरे जन्मदाता ,
इक बार  चल दिया तो वापस नहीं आता ,
कहता हूँ दिल की बात ,  मेरा नाम तीर है ,
मेरे भी दिल में उठती  पीर  है ,

हर अच्छी बुरी भावनाओं को ढोता हूँ 

मै चलूँ चाहे जिसपर ,मरता  घायल  मै ही  हूँ ,
इस लिए कहता हूँ ,मुझे चलाने  वालों ,
ग़र  ज्ञान का कमान हो, तो तीर तरकश पालो ,
वर्ना , मुझको  छूने से पहले , सोचो कई बार ,
मै आऊँगा ना वापस जो चला एक बार ,
जी हाँ मै तीर हूँ    ………





इतिहास गवाह है.… पृथ्वी राज चौहान की एक घटना  जिसमे वो शब्द भेदी  बाण चलाते है  मुग़ल शासक मुहम्मद गोरी  पर तब उनकी दोनों आँख निकाल  दी गई थी ,  उनके वफादार "कवि चाँद बरदाई " ने  उस वक्त  दोहे के रूप में कहा था.…
   
  " चार हाथ चौबीस गज़ ,अंगुल अस्ट प्रमाण ,
          ता ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान ''…
इस वाक्य  ने तीर का  काम किया और फिर कमान से तीर निकला ....... 














2 comments:

  1. निर्जीव वस्तु में शब्दों से जीवन डालना एक कला है, जिसे बखूबी निभाया गया है।

    ReplyDelete
  2. ये जो आपके छोटे बड़े शब्द भेदी बाण निकलते हैं तो निशाने को ढूंढ कर, पानी पिला पिला के मारते हैं!

    बहुत बढ़िया

    ReplyDelete