Friday 30 May 2014

चले गए -कविता , hindi poem for lovers

     


        ............ 23 /05 /2014 ……… 


पूरी  सुनी न  बात  तुम उठ  कर चले गए ,
आधे रहे जज़्बात , तुम उठ कर चले गए ,

हर  मौसम  भी  पलट  कर  आता  है एक  बार,
वादा न किया आने का ,तुम उठ कर चले गए , 
पूरी  सुनी न  बात ………………… 

चाहत में हुवे थे ग़ुलाम ,  अब तक न रिहा हुवे ,
सांसों की डोर ना टूटी , तुम उठ कर चले गए ,
पूरी  सुनी न  बात   ……………… 

चाहत तो क़ुबूल किया था ,संग रहने का था करार ,
फिर किये बिना इंकार , तुम उठ कर चले गए ,
पूरी  सुनी न  बात  ......................... 

जीते न जिया महसूस किया , मरने पे तो छू लेना  ,
ऐसे भी  क्या  नाराज़  के , तुम  उठ  कर चले गए ,
पूरी  सुनी न  बात  …………………।








{अफसाना  }

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