Friday 30 January 2015

hasya vyangya kaivta ,poem on politics chunavi mausam चुनावी मौसम - , during election time promises of leaders -funny poem

                 





    चुनावी मौसम

आ गया है चुनाव का मौसम ,
झड़ी वादों की लगने  लगी  है 
कोई नेता नहीं घर था आता 
अब बेवक्त घन्टी बजने लगी है ,

वादे पिछले हुवे   ना थे  पूरे 
फिर भी बेशर्मी से मुस्कुराते 
सड़ रहे उनके वादे पुराने 
बदबू  उनमे से आने लगी है
आ गया है चुनाव का मौसम  …………… 

दांत और बाल नेता जी  के नकली

लगते थे पोस्टरों में वो असली 
झूठ दुनियाँ से कब तक छुपाना 
जनता सब कुछ समझने लगी है 
आ गया है चुनाव का मौसम  ................... 

मरती है टैक्स भर भर के जनता 

बदले में उनको ठेंगा है मिलता 
(अब नेता जी  का टिकट है कटने वाला )-
जनता सोते से  जगने लगी है 
आ गया है चुनाव का मौसम  …………

नेक तेरे नहीं है इरादे 

वादे कर के मुकरते फिरते भागे 
पाप कर्म की हो तुम तो नुमाइश 
बात अब ऐसी होने  लगी है 
आ गया है चुनाव का मौसम  …………....... 

फण्ड जनता का तुमने डकारा 

शब्द बेईमान भी तुमसे हारा ,
वक्त तेरा बुरा  है आने वाला 
जनता दिन  तेरे गिनने लगी है 
आ गया है चुनाव का मौसम   ……………… 



click the link for "chunavi mausam" kavita 
 


Friday 16 January 2015

poem on dog's faith वफ़ादारी (कुत्ता ) - hindi -wafadari

             






 ……वफ़ादारी (कुत्ता )-१५/०१/२०१५/......





सूनी राहों में न जाने किसे देख, चिल्लाता है रात भर ,
उसकी वजह से  ही तो  चैन से  सोते  है  परिवार  भर ,
प्यार से जब भी उसे देखा , लिपट जाता है  पैरों से 
लेकिन दोस्ती नहीं करता, कभी वो झटपट गैरों से ,
सेना से आम आदमी तक ,होती है  उसकी  पूछ  ,
नहीं वो छोड़ता कभी साथ , चाहे नीच हो या ऊँच ,
परहेज़ नहीं कुछ खाने से ,चाहे जूठा हो या सुच्चा ,
मिले फेंक के चाहे या बर्तन में, हर भोजन है अच्छा ,
कोई घूमे गाड़ी पे , कोई सड़क पे आवारा ,
किसी ने प्यार से चूमा , किसी ने ईंट से मारा ,
सब से ज्यादा मौत सड़को पे इनकी ही होती है 
कहानी और फिल्मो में चर्चा , इनकी भी होती है 
हिफाज़त और वफादारी गुण इनके है पैदाइशी,
लेकिन लोगो का है व्यवहार इनसे जैसे कोई वहशी,
नहीं आया इनमे कोई बदलाव , सदियों से आज तलक , 
इन्सां  ने  ना सीखा इनसे कुछ , बदल जाता है झपकते पलक,
हमारी दुनियां में इनकी , नहीं  है भागीदारी कम, 
वफ़ादारी इनसे सीखें   ,निभाएं ज़िम्मेदार हम   ……… 
  



Sunday 11 January 2015

hasya vyangya kavita अध्यापक - funny hindi poem on teachers

          

   … अध्यापक  …… (व्यंग्य  ) १० /०१/२०१५ 

कोई गुरु कोई टीचर कोई अध्यापक कहता  है ,
तुम्हारे ज्ञान के कारण हर पैरेंट सर झुकता है 
मगर मन ही मन में औरों से इक बात कहता है 
नहीं बन पाता  कुछ पढ़ कर वही तो टीचर बनता है ,

हमारे समाज में आज भी टीचर बनना कोई बड़ा काम नहीं है , और पुरुष टीचर तो दया का पात्र माना जाता है और वहीं महिला टीचर मतलब लकी ड्रॉ , सब के लिये चाहे वो ससुराल हो या घर,
तो कहते है … 
बने महिलाएं जो टीचर तो कीमत उनकी बढ़ जानी  है,
बहू बनती कमाऊ वो , पती की जेब कटनी है ,
अगर पुरुष बने टीचर तो  गिनती उल्टी हो जानी है ,
करे जी फाड़ मेहनत वो, कहते ये काम अब जनानी है,

स्कूली  शिक्षा  में टीचर्स को चार भागों  में बांटा गया है , और पिछले जन्म के पापो के हिसाब से अलग -  उम्र के बच्चों के अध्यापक बनते है , NTT प्री प्राइमरी , PRT  क्लास 1 से 5 , TGT क्लास 6  से 8  और PGT क्लास 9  से 12 तक के बच्चों को पढ़ाते और उनकी समस्याओं से दो चार होते है
तो कहते है… 
बचपन में किया जो पाप  तो वो NTT  होता है 
लड़कपन में किया जो पाप तो वो PRT  होता है 
किया तरुणाई में जो पाप  तो वो TGT  होता है 
किया जो पाप बुढ़ापे में  तो वो पीजीटी  होता है 

स्कूल का सीस्टम जिन लोगो से  चलता  है उनके साथ खट्टे मीठे अनुभव रोज़ होते रहते है 
तो कहते है… 

जो आउट इन से होते चार्ज वही इंचार्ज होते है
करे मिस हेड के स्ट्रेस को वही हेड मिस्ट्रेस  होता है
पल पल जो करे प्रिंसिपल वो वाईस प्रिंसिपल  होता है ,.... और
 करे जो ऐज को मैनज वही मैनेजर होता है
करे हर बात पे टर  टर वही कोर्डिनेटर होता है ,
जिसे पल पल की रहती खबर वही तो प्रिसिपल होता है,

अरे ओ बच्चों माँ बाप  तुम्हे कुछ  पता भी होता है ,
इन्ही टीचर्स के  दम  पे समाज पढ़ा लिखा होता है ,
जिसे न मिले गुरु  वो अंगूठा छाप  होता है ,
मेरा तो काम है लिखना किसी को फर्क क्या पड़ता है 
कोई गुरु कोई टीचर    ………। 

Friday 9 January 2015

Vyangya kavita , contemporary hindi kavita लाइन (line )व्यंग्य - hindi poem on line

            ***लाइन***  (line )व्यंग्य (९/०१/२०१५ )-३:४५ सांय काल 






हिंदी में कहते पंक्ति  और ,अंग्रेजी में कहते  लाइन 
शार्ट फॉर्म में कहते क्यू (Q )  और उर्दू  में कतार है लाइन
मेरे
पैदा होने से पहले हॉस्टपीटल में डॉक्टर से मिलने की लाइन 
जो हुवा पैदा तो स्वास्थ का टीका लगवाने की लाइन 
बड़ा  हुवा थोड़ा तो स्कूल में एडमिशन की लाइन ,
किया स्कूल में  एंटर तो मिली असेंबली की लाइन ,
क्लास की पढाई में आर्ट, जिऑमेट्री की लाइन ,
स्कूल पास कर कॉलेज में एडमिशन की लाइन ,

जो कॉलेज पास हुवा तो नौकरी  में interview की लाइन ,
नौकरी की देश में ,प्रमोशन हुवा विदेश  में  ,
विदेश जाने के खातिर पासपोर्ट बनवाने  की लाइन ,
बन गया पासपोर्ट तो मिली  वीज़ा की लाइन ,
एयरपोर्ट पे इंट्रेंस और लगेज की लाइन ,

टैक्सी और ऑटो  में बस में ट्रेन  में लाइन ,
सैलरी लेने बैंक गया तो मिली एटीएम में लाइन ,
गया जो रेस्टोरेंट में तो आर्डर डिलिवरी में लगा टाइम  ,
वेटर से पूछा इतना लेट क्यूँ  है ?
वो बोला साहब आप का आर्डर Q (line) में है 


सर्कस में खेल में मूवी हाल में लाइन 
राशन की दुकान पर लेने वालो की लाइन 
बिजली पानी बिल टैक्स जमा करने की  लाइन ,
कोर्ट कचेहरी जेल में मुजरिम की  बड़ी लाइन ,
मंदिर मस्जिद गुरुद्वार और चर्च में  भक्तों की लाइन ,
भंडारे और लंगर में भूखो की  लम्बी लाइन ,

रिटायर हुवा नौकरी से पेंशन लेने की लाइन ,

ज़िन्दगी के फेल पास में आई  मुकद्दर की  लाइन
हथेली पे किस्मत की नेपोलियन ने  खींची थी लाइन 
चक्कर में लाइन के खो गई अपनी ज़िन्दगी की शाइन ,

चला अन्तिम यात्रा पर चार कंधो पे होके  सवार ,
न पीछा छूटा लाइन का शमशान पे मिल गई फिर से कतार (LINE ) ,
ज़िंदा लोगो की लाइन में रहती थी बड़ी मारामार ,
ये तो मुर्दों की थी लाइन  , सब लेटे  थे पॉव पसार ,
जीवन है  समझो माझी , तो मानो पक्ति है पतवार ,
है डेरा लाइन का चारो तरफ , है  लाइन की कतार,
इन सीधी लाइनो में उलझा है  सारा संसार 
जीवन  पार न  होवे , बिना  लाइन पे हो  सवार   .......